Monday, May 4, 2020

ईश्वरत्व के लक्षण


व्यवस्थाविवरण 1 अध्याय से अध्ययन

 

👉व्यक्तिगत इच्छा से न रहें, बल्कि परमेश्वर की इच्छा के अनुसार आगे बढ़ें (6,7)

 

👉परमेश्वर की योजना के खिलाफ नहीं कुड़कुड़ाएँ, बल्कि आभारी रहें और उनकी योजनाओं पर भरोसा रखें (27,28)

 

👉धर्मी लोगों द्वारा प्रस्तावित योजनाओं को अस्वीकार न करें, बल्कि विचारशीलता से समर्थन दें (12-14)

 

👉प्रभु की आज्ञा का विरोध न करें, बल्कि उनके वचन को मानने को तैयार रहें (26,42,43)

 

👉पक्षपात न करें, बल्कि सही और निष्पक्ष रूप से न्याय करें (17)

 

👉विरोध या नुकसान की ओर न देखें, बल्कि उस प्रभु पर भरोसा रखें जो हमें उठाए चलता है, हमारे लिए एक जगह तलाशता है और हमें मार्ग दिखाता है (31-33)

 

👉किसी से न डरें, बल्कि सबके साथ एक जैसा व्यवहार करें (17)

 

👉दूसरों से ईर्ष्या न करें, बल्कि प्रोत्साहित करें और सशक्त करें (37)

 

👉परमेश्वर से दूर नहीं भटकें, लेकिन उनके प्रति विश्वासयोग्य रहें (35,36)


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