गिनती 34 और 35 अध्याय से अध्ययन
👉 अपने आप को परमेश्वर द्वारा परिभाषित (निर्धारित) सीमाओं से बांधें (34:1,2)
👉 जहाँ भी हम रहें प्रभु के वचन का आदेश का पालन करें (35:29)
👉 पालन नहीं की गयी सीमाएँ हमारे जीवन को नष्ट कर देंगी (35:26,27)
👉 बैर, शत्रुता और किसी भी तरह की अभक्ति या अधर्म हमें सीमाओं को पार करने के लिए प्रेरित करेगी (35:20,21)
👉 अशुद्धता तब होती है जब हम परमेश्वर द्वारा निर्धारित सीमाओं को पार करते हैं; परमेश्वर जो हमारे बीच रहता है वह पवित्र है (35:34)
👉 जीवन के सभी क्षेत्रों को परमेश्वर के वचन की सीमाओं के भीतर चलायें (34:12)
👉 जीवन की पुनर्स्थापना के लिए पश्चाताप करें और परमेश्वर की मुक्ति में शरण लें (35:6,13)
👉 उन लोगों के अधिकार का आज्ञा माने जिन्हें सीमाओं का पालन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी जाती है (34:16,29)
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