व्यवस्थाविवरण 2 अध्याय से अध्ययन
👉जब तक कि परमेश्वर की अनुमति न हो हम एक जगह पर लंबे समय तक नहीं रह सकते (3)
👉जब तक प्रभु हमें प्रदान
नहीं करते तब तक हमें कुछ नहीं मिल सकता (5)
👉जब तक प्रभु की उपस्थिति
हमारे साथ नहीं है, तब तक हम भारी जंगल जैसे की जीवन में चल नहीं सकते (7)
👉जब तक हम विश्वासयोग्यता
से पुरे मन से प्रभु का अनुसरण नहीं करते, हम उनका उद्देश्य पूरा नहीं कर सकते (14,31-33)
👉जब तक हम ईर्ष्या, लालच
और घृणा को नहीं छोड़ते, तब तक हम परमेश्वर द्वारा नियुक्त मंज़िल तक नहीं पहुँच सकते
(5,9,19)
👉जब तक हम परमेश्वर की
सामर्थ के साथ शत्रुता का सामना नहीं करते, तब तक हम अधिक चुनौतियों का सामना करने
के लिए तैयार नहीं हो सकते हैं और उच्च उद्देश्यों के अधिकारी नहीं हो सकते हैं (24-26,36)
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