गिनती 25 अध्याय से अध्ययन
👉धोखे और चालबाजी से शुरू होता है (18)
👉बुरे रिश्ते और अनैतिक व्यवहार यौन पाप की ओर ले जाते हैं (1,2)
👉ऐसे मामलों में प्रवेश
न करें। लोगों को गहरे बंधनों की ओर ले जाता है। शर्म और जीवन के उद्देश्य के नुकसान
में समाप्त होता है (1,3,6)
👉परमेश्वर ऐसे पापों से घृणा करता है (11)
👉अवसर और रिश्ते जो ऐसे पापों की ओर ले जाता है, पश्चाताप के साथ, उसे दूर करें (8)
👉परमेश्वर और उन्के पवित्रता के प्रति धुन भरी जीवन व्यतीत करें ताकि दूसरों को अगुवाई कर सकें (11-13)
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