गिनती 30 अध्याय से अध्ययन
👉 मन्नतें जो प्रभु के
साथ बांधते हैं उसके निमित परमेश्वर और परिवार में एक दूसरों के लिए जवाबदेह हम होते
हैं (1,3,6)
👉 प्रभु के साथ किए गए
मन्नत को न तोड़ें, बल्कि उसे पूरा करें (2)
👉 मन्नत जो बिना सोच विचार किए माना गया उसके प्रति जब परिवार के सदस्य अपने अस्वीकृति पेश करें तो प्रभु में उसका सम्मान करें (6)
👉 जो व्यक्ति परमेश्वर के साथ वाचा बांधता है (मन्नत मानता), उसके मन्नत के प्रति हमारे असंवेदनशीलता हमें दोषी बनाती है (15)
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