गिनती 5 और 6 अध्याय से अध्ययन
👉प्रभु के प्रति विश्वासयोग्य – स्वयं को अपवित्र न करके और प्रत्येक अवगुण और पाप को बाहर निकालने के द्वारा हम परमेश्वर के प्रति विश्वासयोग्य रह सकते हैं, क्योंकि वह हम में बसता है (5:3; 6:7,8)
👉एक-दूसरे के साथ विश्वासयोग्य – एक-दूसरे को धोखा न देखे और उनके प्रति अपराध न करने
के द्वारा हम एक-दूसरे के साथ विश्वास योग्य रह सकते हैं (5:5-7)
👉विवाहित जीवन में विश्वासयोग्य – बेवफा (अपने पति या पत्नी से दूर जाना) न होकर और
भटक (वासनापूर्ण संबंध रखना) न जाने के द्वारा विवाहित जीवन में विश्वास योग्य रह सकते
हैं (5:12)
👉व्यक्तिगत जीवन में विश्वासयोग्य – अनुशासित जीवन जीने के द्वारा, व्यक्तिगत जीवन में
विश्वासयोग्य रह सकते हैं (6:3,4)
👉सेवा में विश्वासयोग्य – अर्पणता के साथ सेवा करके और प्रतिबद्धता को पूरा
करके परमेश्वर की सेवा में विश्वासयोग्य रह सकते हैं (6:2,5)
No comments:
Post a Comment